पटना: चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारतीय क्रिकेट टीम को पाकिस्तान न भेजने के भारत सरकार के फैसले पर राजनीतिक हलकों में विवाद उठ गया है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और पूर्व क्रिकेटर तेजस्वी यादव ने सरकार से खेलों से राजनीति को दूर रखने की अपील की है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान जा सकते हैं, तो भारतीय क्रिकेट टीम क्यों नहीं जा सकती?
तेजस्वी यादव ने अपने बयान में कहा, “खेलों में राजनीति नहीं होनी चाहिए। पाकिस्तान को हमारे देश में आना चाहिए और हमारे खिलाड़ियों को भी वहां जाना चाहिए। खेलों में क्या समस्या है? ऐसा नहीं है कि खेलों में कोई युद्ध चल रहा है। भारत को पाकिस्तान क्यों नहीं जाना चाहिए? अगर प्रधानमंत्री मोदी बिरयानी खाने के लिए पाकिस्तान जा सकते हैं, तो इसे अच्छी बात माना जाता है, लेकिन अगर भारतीय टीम खेलने के लिए पाकिस्तान जाती है, तो इसे गलत माना जाता है। यह सोचने का सही तरीका नहीं है।”
तेजस्वी का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2015 में पाकिस्तान यात्रा का संदर्भ देता है, जब मोदी ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से उनके जन्मदिन पर लाहौर में मुलाकात की थी।
क्या है पूरा मामला?
भारत का पाकिस्तान जाने से इंकार करने के फैसले ने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। भारत ने टूर्नामेंट के लिए एक हाइब्रिड मॉडल का प्रस्ताव दिया है, जिसके तहत मैचों के लिए तटस्थ स्थल जैसे श्रीलंका और यूएई को प्राथमिकता दी गई है। हालांकि, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड इस प्रस्ताव पर असहमत है और अपनी जिद पर अड़ा हुआ है।
इस गतिरोध को सुलझाने के लिए आईसीसी ने एक महत्वपूर्ण बोर्ड बैठक बुलाई है, जो शुक्रवार को होनी है।
तृणमूल सांसद कीर्ति आज़ाद का विरोध
इसी बीच, तृणमूल कांग्रेस के सांसद कीर्ति आज़ाद ने भारत के पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने के विरोध में अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा, “हम पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं खेलेंगे, क्योंकि वे आतंकवादी भेजते रहते हैं। हम उनके साथ क्रिकेट नहीं खेल सकते।”
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंधों की स्थिति लंबे समय से तनावपूर्ण रही है। भारतीय क्रिकेट टीम ने आखिरी बार 2008 में पाकिस्तान का दौरा किया था, जब वे एशिया कप में हिस्सा लेने गए थे। इसके बाद से, दोनों देशों के बीच राजनीतिक रिश्तों में गिरावट आई है, और दोनों टीमों का सामना केवल आईसीसी टूर्नामेंटों तक ही सीमित रह गया है। 2012-13 में दोनों टीमों ने भारत में द्विपक्षीय श्रृंखला खेली थी, लेकिन उसके बाद से द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेली गई।
भविष्य क्या होगा?
चैंपियंस ट्रॉफी के लिए इस विवाद के समाधान के लिए आईसीसी की बैठक महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट के मैदान पर तनाव का असर केवल खेलों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह दोनों देशों के राजनीतिक संबंधों को भी प्रभावित करता है। ऐसे में, इस मामले का हल भविष्य में क्रिकेट और राजनीति के संबंधों पर नए सवाल खड़े कर सकता है।